हल्द्वानी: आदि कैलाश यात्रा को लेकर केएमवीएन की तैयारी पूरी
हल्द्वानी, अमृत विचार। आदि कैलाश यात्रा को लेकर कुमाऊं मंडल विकास निगम की तैयारी पूरी हो गई है। गुरुवार को निगम के महाप्रबंधक एपी बाजपेयी ने नोएडा की एक संस्था के साथ अनुबंध किया है। इसमें काठगोदाम से आठ व धारचूला से पांच दिन की यात्रा की जाने की बात कही गई है।
भारत-तिब्बत सीमा के निकट तक राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण पूरा हो चुका है। इस कारण आदि कैलाश यात्रा वाहन से कराए जाने की योजना बनाई जा रही है। इस यात्रा को अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम ने नोएडा की संस्था डिवाइन मंत्रा प्राइवेट लिमिटेड (ट्रिप टू टेंपल्स) के साथ अनुबंध किया है। करोनाकाल के बाद दो साल में लोगों के लिए फिर से आदि कैलाश यात्रा शुरू की जा रही है।
बता दें कि आदि कैलाश पर भी भोले बाबा का निवास रहा है और पास ही स्थित पार्वती सरोवर में माता पार्वती का स्नान स्थल्र हुआ करता था। साक्षात शिव का प्रतीक अपने मस्तक पर सुशोभित किया हुए ऊँ पर्वत कुल 3 देशों की सीमाओं से लगा हुआ है। इस स्थान के धार्मिक एवं पौराणिक महत्व का वर्णन महाभारत, रामायण व वृहत पुराण जैसे ग्रंथों में मिलता है।
यह पर्वत देवभूमि उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में भारत-तिब्बत सीमा के पास स्थित है। पहले इस यात्रा में सड़क ना होने के कारण लगभग 200 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। अब भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार के प्रयासों और सीमा सड़क निर्माण विभाग के सानिध्य में नाभिढांग और जोलिंगकोंग तक राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण पूरा हो चुका है। जिससे इस यात्रा को अब वाहन से पूरा किया जा सकता है। ऐसे में काठगोदाम से यह यात्रा आठ व धारचूला से पांच दिन में पूरी हो जाएगी।
रोजगार को मिलेगा बढ़ावा
कुमाऊं मंडल विकास निगम के महाप्रबंधक एपी बाजपेयी ने बताया कि स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के लिए केएमवीएन के सहयोग से बने स्थानीय होम सटे को भी उपयोग में लाया जा रहा है। जहां तीर्थ यात्रियों को स्थानीय संस्कृति, परंपराओं के बारे मे बताया जाएगा। स्कंद पुराण के मानस खंड में आदि कैलाश एवं ऊ पर्वत की यात्रा को कैलाश मानसरोवर यात्रा जितनी ही प्रमुखता दी गई है।
काठगोदाम से 8 दिनों की होगी यात्रा
हल्द्वानी। यात्रा टीम की ओर से बनाए गए रूट प्लान के तहत यात्रा भीमताल, नीम करोली बाबा के आश्रम कैंची धाम, चितई गोल मंदिर, पौराणिक से मंदिरों का समूह जागेश्वर धाम, पार्वती मुकुट, ब्रह्मा पर्वत, शेषनाग पर्वत, शिव मंदिर, पार्वती सरोवर, गौरीकुंड , पाताल भुवनेश्वर महाभारत काल के बहुत से स्थानों जैसे पांडव किला, कुंती पर्वत, पांडव पर्वत व वेदव्यास गुफा से होकर गुजरती है। इस यात्रा को पूरा होने में आठ दिन लगेंगे।
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